यह तस्वीर है कोलंबिया के सड़क किनारे बस-स्टॉप पर बने पुस्तकालय की जहां यात्री खाली समय को किताबों को पढ़कर बिता सकें, कुछ ज्ञान अर्जित कर सकें और मनोरंजन कर सकें.
यह संभव है की इस तस्वीर को देखकर हम यह कहना शुरू कर दें की हमारे देश में ऐसा क्यूँ नहीं, ऐसी सुविधाओं का हमें हक़ क्यूँ नहीं. लेकिन ऐसा सोचने या कहने से पहले अपने आप के अन्दर भी देखना होगा और अपने देश के उन लोगों की मनोवृत्ति को भी समझना होगा जिन्हें इन किताबों को पढने से ज्यादा इनको चोरी करके बेचने में ज्यादा रूचि जाग जाएगी.
भाई, अगर ऐसे पुस्तकालय हमारे देश में खुले तो यकीन मानिए एक ही दिन काफी है इसको नेस्तनाबूद कर देने के लिए. कोई चोरी करके ले जाएगा पढने के लिए, कोई उठा ले जायेगा किलो के हिसाब से रद्दीवाले को बेचने के लिए तो कुछ ऐसे भी होंगे जिनके अन्दर सब्र नहीं होगा और वो लोग पूरा का पूरा पुस्तकालय ही ठेले पर लादकर किसी चोर-बाजार में बेच आयेंगे.
यह संभव है की इस तस्वीर को देखकर हम यह कहना शुरू कर दें की हमारे देश में ऐसा क्यूँ नहीं, ऐसी सुविधाओं का हमें हक़ क्यूँ नहीं. लेकिन ऐसा सोचने या कहने से पहले अपने आप के अन्दर भी देखना होगा और अपने देश के उन लोगों की मनोवृत्ति को भी समझना होगा जिन्हें इन किताबों को पढने से ज्यादा इनको चोरी करके बेचने में ज्यादा रूचि जाग जाएगी.
भाई, अगर ऐसे पुस्तकालय हमारे देश में खुले तो यकीन मानिए एक ही दिन काफी है इसको नेस्तनाबूद कर देने के लिए. कोई चोरी करके ले जाएगा पढने के लिए, कोई उठा ले जायेगा किलो के हिसाब से रद्दीवाले को बेचने के लिए तो कुछ ऐसे भी होंगे जिनके अन्दर सब्र नहीं होगा और वो लोग पूरा का पूरा पुस्तकालय ही ठेले पर लादकर किसी चोर-बाजार में बेच आयेंगे.
No comments:
Post a Comment